जाना ही था तो मेरा दिल तो लौटा जाती
दिल के बिना किसी और से मोहब्बत की नहीं जाती
तेरे बिना दिन नहीं गुजरते थे रात नहीं कटती थी
अब मय के बिना ज़िन्दगी गुज़ारी नहीं जाती
तुझ को पाकर रब पर यकीन हो चला था मुझे
नास्तिक की जन्नत में अगवानी की नहीं जाती
एक बार मेरी खता तो मुझको बताती जाती
इंसान कि आख़री ख्वाहिश अधूरी छोड़ी नहीं जाती
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