सोचता हूँ अक्सर
मैं क्यों रहा हूँ जी
क्या करने आया
इस संसार में, मैं भी
माना कुछ खास नहीं दे पाया
अब तक अपना योगदान यहाँ
चुका हुआ मान चुके हैं
क्या मुझे सभी ?
पर लोगो को क्या पता
कोयला अभी राख नहीं हुआ है
और करने की बहुत कुछ ललक
मुझमे बची है अभी |
इस जहाँ में
एक खास मकसद के लिए
हुआ हैं सबका जनम
मैं भी अपना फ़र्ज़
अदा करके ही जाऊंगा |
मैं क्यों रहा हूँ जी
क्या करने आया
इस संसार में, मैं भी
माना कुछ खास नहीं दे पाया
अब तक अपना योगदान यहाँ
चुका हुआ मान चुके हैं
क्या मुझे सभी ?
पर लोगो को क्या पता
कोयला अभी राख नहीं हुआ है
और करने की बहुत कुछ ललक
मुझमे बची है अभी |
इस जहाँ में
एक खास मकसद के लिए
हुआ हैं सबका जनम
मैं भी अपना फ़र्ज़
अदा करके ही जाऊंगा |
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