क्यों चली गई तुम, मुझको छोड़ कर तन्हा
मेरे दिल का दर्द, करके दुगना।
रात भर कहती रही हां हां
सवेरे कर गई ना।
मेरे दिल का दर्द, करके दुगना।
रात भर कहती रही हां हां
सवेरे कर गई ना।
अनोखी थी हमारी प्रेम कहानी भी,
पतझड़ में खिली थी कलिया,
बसंत में हो गया था मनमुटाव।
पतझड़ में खिली थी कलिया,
बसंत में हो गया था मनमुटाव।
अब फिर से आ रहा है पतझड़,
मैंने सीचे रखा है हमारे प्रेम का वृक्ष।
हो सकता है फल नसीब ना हो इस जन्म में,
लेकिन मुझको है अटल विश्वास ,
वापस लेता रहूंगा जन्म
जब तक न चख लू हमारे प्रेम के वृक्ष के फल।
मैंने सीचे रखा है हमारे प्रेम का वृक्ष।
हो सकता है फल नसीब ना हो इस जन्म में,
लेकिन मुझको है अटल विश्वास ,
वापस लेता रहूंगा जन्म
जब तक न चख लू हमारे प्रेम के वृक्ष के फल।